अंग-दर्शन : रूट (10) : योगीवीर पहाड़ी



अंग-दर्शन : रूट (10)

(1) योगीवीर पहाड़ी, (2) जामा मस्जिद. (3) मीनाक्षी जगन्नाथ इस्कॉन मंदिर, (4) जिच्छो पोखर

(1) योगीवीर पहाड़ी

ईशीपुर-बाराहाट के योगी वीर पहाड़ी पर स्थित 18 भुजा वाली मां दुर्गा मंदिर सहित विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। यह क्षेत्र का प्रमुख पिकनिक स्पॉट भी है। यहां पूजा अर्चना करने के साथ-साथ लोग घूमने के लिए आते हैं। वहीं साधकों, श्रद्धालुओं का सालों भर आना जाना लगा रहता है। आसपास के दर्जनों गांव के लोग नव वर्ष सहित अन्य शुभ कार्य 18 भुजा वाली मां दुर्गा के दरबार में पूजा-अर्चना के बाद ही शुरू करते हैं। मां दुर्गा के साथ ही यहां शनि मंदिर, योगी बाबा मंदिर, बजरंगबली मंदिर आस्था का केंद्र बना हुआ है। नववर्ष के आगमन पर आसपास के दर्जनों गांव के लोग यहां पिकनिक मनाने आते हैं। विभिन्न देवी देवताओं की पूजा अर्चना के पश्चात विभिन्न प्रकार के व्यंजन का लुफ्त उठाते हैं। बच्चे विभिन्न प्रकार के खेल कूद का आनंद लेते हैं।
प्रखंड कार्यालय से सटे ईशीपुर- बाराहाट के पश्चिम दिशा में योगीवीर पहाडी है। यहां पहुंचने के लिए मेहरमा चौक, पिरोजपुर स्थित सिद्धो कान्हो चौक से बराबर ऑटो उपलब्ध रहता है। निजी वाहन से भी लोग यहां पहुंच सकते हैं।

योगी बाबा का तपोस्थली था योगीवीर पहाड़ी

बताया जाता है कि प्राचीन काल में पहाड़ी पर एक योगी बाबा शरण लिए हुए थे। जो तप किया करते थे।तथा मां दुर्गा की आराधना में लीन रहते थे। कुछ दिनों बाद अचानक वे कहीं गुम हो गए। तब से आस-पास के गांव के लोगों द्वारा उनकी प्रतिमा स्थापित कर तथा मां दुर्गा का भव्य मंदिर का निर्माण कर उनकी पूजा अर्चना की जाने लगी। बाद में भव्य शनि मंदिर का निर्माण कराया गया। पहाड़ी पर बजरंगबली सहित विभिन्न देवी देवताओं की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। पहाड़ी के ठीक नीचे महर्षि मेंही आश्रम है। जहां प्रत्येक दिन सुबह-शाम सत्संग होता है। यहां सत्संग प्रेमियों की भीड़ लगी रहती है। पहाड़ी के नीचे दक्षिण दिशा में एक प्राचीन कुआं है। बताया जाता है कि इस कुआं के पानी के नियमित सेवन से गैस्ट्रिक सहित पेट संबंधी विभिन्न प्रकार की बीमारी ठीक हो जाती है। सुबह शाम कूंआ पर पानी लेने वालों की भीड़ लगी रहती है। आसपास के दर्जनों गांव के लोगों द्वारा यहां से पानी मंगवाया जाता है।

(2) जामा मस्जिद

यह मस्जिद वर्तमान रेल लाइन के बगल में स्थित है । मुगल समय का यह मस्जिद आज भी अपना पुराना वैभव खोया नही है । पहाड़ के ऊपर स्थित होने के चलते और बगल से छोटी गंगा बहने से स्थान और मनोरम लगता है । एक प्राचीन गुफा भी देखा जा सकता है । दूर दूर से लोग यहां अपना श्रद्धा जताने पहुंचते हैं।

(3) मीनाक्षी जगन्नाथ इस्कॉन मंदिर

Meenakshi Jagannath Isckon Mandir
हाल के दिनों में सुंदरपुर में बना यह मंदिर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। जो भी एकबार यहां पहुंचते हैं मंदिर का गुणगान करते थकते नहीं। दक्षिण के मीनाक्षी मंदिर के तर्ज पर बना स्थापत्य सैलानियों को बहुत ही नैसर्गिक आनंद प्रदान कर रहा है। यहां के फूलों के उद्यान भी बड़ा प्यारा है। सुदूर गांव में इस तरह का भव्य मंदिर देख पर्यटकों के आंख खुले के खुले रह जा रहा है।



Meenakshi Jagannat Isckon Mandir


(4) जीच्छो पोखर

Jicho Pokhar
Jichho Pokhar
भागलपुर जिले के पीरपैंती प्रखंड अंतर्गत जिच्छो पोखर । वहां रोज अनगिनत महिलाओं को स्नान करते देख किसी भी नए आदमी को बेहद आश्चर्य होगा । सालों भर सही ढंग से पानी भी नहीं रहता है। ना ठीक से घाट बने हैं और ना ही स्नान करने और कपड़ा बदलने की जगह है । मगर खास कारणों से इस पोखर की प्रसिद्धि बिहार, झारखंड ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों और नेपाल और भूटान जैसे देशों में भी है। इसका प्रमाण है कि हर जगह से महिलाएं यहां स्नान करने आती हैं।

संतान की होती है मन्नत पूरी

Jichho Pokhar
इसका वजह है कि इसके संबंध में यह मान्यता है कि पोखर में स्नान करने से निसंतान महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है। बहुत ही प्राचीन मान्यता है कि पोखर में जिच्छो देवी का स्थान है। इसीलिए शादी के लंबे समय तक संतान नहीं होने पर दूर-दूर से महिलाएं इस पोखर में स्नान करने आती हैं।




Jichho Pokhar

लेखक: Debajyoti MukherjeeSocial Entrepreneur, Entrepreneurship Development Activist , Life Skill Trainer & Mentor


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